मेरी आहों से यूँ
किनारा ना कर
मत छोड़ के जा
मुझको बेसहारा ना कर
इक नज़र ही काफी है उम्र भर के लिए
तमाम उम्र तू अपनी गवारा ना कर
अब जो दुरी है
तो मुनासिब है की फासला बनाये रखो
ख़्वाबों में आकर
मुझको पुकारा ना कर
मेरी आहों से यूँ
किनारा ना कर।
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