Thursday, 22 January 2015

मेरी आहों से यूँ 
किनारा  ना कर 
मत छोड़ के जा 
मुझको बेसहारा ना कर 

इक नज़र ही काफी है उम्र भर के लिए 
तमाम उम्र तू अपनी गवारा ना कर 

अब जो दुरी है 
तो मुनासिब है की फासला बनाये रखो 
ख़्वाबों में आकर 
मुझको पुकारा ना कर 


मेरी आहों से यूँ 
किनारा ना कर। 

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