Saturday 14 February 2015

तू ही मेरा खुदा है

मांगा है तुझको मैंने अपने खुदा से
मिल जाये मुझको  तू रब की दुआ से

हर आईने में तेरा अक़्स ढूँढता हूँ
जब से ये इश्क़ मुझे  तुझसे हुआ है

तू ही है मंजिल मेरी
तू ही रास्ता है
तू ही हमसफ़र मेरा
तू ही हमनवां है

मांगा है तुझको मैंने अपने खुदा से
मिल जाये मुझको  तू रब की दुआ से

चल तोड़ दें सारी ये
दुनियां की रस्में
तेरे ही बस है दिल
ना मेरे ही बस में

चल तोड़ सारी ये
दुनिया की रस्में

तुझको ही  चाहा मैंने
तुझको ही  पूजा है
तेरे सिवा यार मेरा
कोई ना दूजा है
तू ही बंदगी है मेरी
तू ही खुदा है

मांगा है तुझको मैंने अपने खुदा से
मिल जाये मुझको तू रब की दुआ से

छोड़ ना जाना मुझको बिच सफ़र में
बहने लगे ना मेरे आँखों से झरने
तू ही है इश्क़ मेरा
तू ही आशिक़ी है
तू ही है चाहत मेरी
तू ही दिलरुबा है


मांगा है तुझको मैंने अपने खुदा से
मिल जाये मुझको  तू रब की दुआ से

हर आईने में तेरा अक़्स ढूँढता हूँ
जब से ये इश्क़ मुझे  तुझसे हुआ है। ....

प्यार में तेरे अब जीना है मुझको
सारे जहाँ की खुशियाँ दे दू मैं तुझको
तू ही जन्नत मेरी
तू ही जहाँ है
तू ही धरती मेरी
तू ही आसमां है

मांगा है तुझको मैंने अपने खुदा से
साँसो मे










Tuesday 3 February 2015

तनहा दिल

तनहा तनहा है दिल
तनहा तनहा हैं दिल की आहें
तनहा तनहा है मंजिल मेरी
तनहा तनहा हैं मेरी राहें

तनहा तनहा है धड़कन मेरी
तनहा तनहा हैं मेरी सासें

खूबसूरत है तनहाई की ये महफिल
खूबसूरत हैं तनहाई की आवाजें

इस तनहाई मे सिमटी है मुहब्बत किसी की
इस तनहाई मे जज्ब हैं किसी की यादें
तनहा तनहा है दिल
तनहा है दिल की आहें

रूबरू होती है तनहाई कभी दिन के उजाले में
तनहाई से रूबरू होती है कभी सोती रातें

तनहाई मे कभी कसमसाती है जिंदगी
कभी कसमसाती हैं तनहाई में जज्बातें
तनहा तनहा है दिल
तनहा तनहा हैं दिल की आहें।

Wednesday 28 January 2015

माॅ

माॅ
क्या तुझको करूँ मैं अर्पण
ये जर्रा जर्रा कतरा कतार है तेरा

मेरे दिन में तू
मेरी रात में तू
मेरे हर साँस में तू
मेरी हर बात में तू

मेरी आवाज में तू
मेरी जज्बात में तू
तू ही मेरे सपनों में
मेरे हर खय्लात में तू

तेरा ही अंश ही मेरी काया है
तेरा ही रूप दर्पण बनकर मुझमें उभर आया है
उभर आयीं हैं तेरी पलकें मेरी आँखों में
मेरी हर साँस ने तेरा ही गीत गाया है

माॅ क्या तुझको करूँ मै अर्पण।।
ये जर्रा जर्रा कतरा कतरा है तेरा।।।।

Thursday 22 January 2015

मेरी आहों से यूँ 
किनारा  ना कर 
मत छोड़ के जा 
मुझको बेसहारा ना कर 

इक नज़र ही काफी है उम्र भर के लिए 
तमाम उम्र तू अपनी गवारा ना कर 

अब जो दुरी है 
तो मुनासिब है की फासला बनाये रखो 
ख़्वाबों में आकर 
मुझको पुकारा ना कर 


मेरी आहों से यूँ 
किनारा ना कर। 

Sunday 18 January 2015

दिल की बात

साहिल पे बैठ कर
लहरों का नजारा करते रहे
ईक नजर ग्वारा ना थी उनको
हम उम्र ग्वारा करते रहे

हम दिल से होकर मजबूर
उनकी यादों का सहारा करते रहे
हाय ईक पल ना समझे वो हमको
मेरी आहों से किनारा करते

हम  रेत के समदंर मे
ढूॅढते रहे उनके कदमों के निशां
वो गुलशन मे बैठकर
बहारों का नजारा करते रहे

कतरा कतरा जिस्म
पिघलता गया बेरूखी से उनके
जिए हैं जिंदगी इसकदर
की बस सांसो से गुजारा करते रहे।

साहिल पे बैठ कर
लहरों का नजारा करते रहे......
.



Sunday 11 January 2015

तू जिंदा है अभी----मेरे पिता की याद में

लोग कहते हैं
कि तू जिंदा नहीं

तेरे हाथ मेरी उँगलियाँ बनकर
हरकत करतीं है अभी
तेरी साँसे मेरी
धडकनों मे जिंदा हैं अभी

फिर भी लोग कहते हैं
कि तू जिंदा नहीं

तेरे गाए हुए गीत गाता हूं मैं
तेरे बुने हुए सपने सजाता हूं मैं
तेरी मुस्कान मेरे होटों पर,  
बिखरतीं है अभी

फिर भी लोग कहते हैं
कि तू जिंदा नही
जाने क्यूँ लोग कहते हैं
कि तू जिंदा नही।।।।

Saturday 10 January 2015

खुदा खैर करे

इक अजीब सी बू आती है
कुछ अध जली लाशों से , कछ अध जले मकानों से
खुदा खाली  ही कर दे ये दुनिया इन सियासतदानो से।

कुछ बच्चे तरसते हैं
मां की दुध क लिए
कोइ लडता नजर आता है
अपनी वजूद के लिए

कोई हिंदू है तो कोई मुसलमां है
कोई इंसा नहीं है यहाँ
ये जमीं मायूस है
कुछ अपने बेटों के कारनामो से

भाई से भाई को लडाते हैं
कभी हिंदू को मुस्लिम तो कभी मुस्लिम को हिंदू बनाते हैं
मौत ही मौत बेचते हैं
अपनी रगीं दुकानों से.

कभी थिरकती थी  ये बस्ती
मंदिर के घंटों से मसिजद् के अजानो से
बिस्मिला की शहनाई से
भीमसेन की तानो से

चारों तरफ अफरातफरी हे
उन्माद सा फैला है
सहमे सहमे से है सब कौम वाले
अपने अपने अकाओं के तुगलकी फरमानो से

खुदा बचाले ये दुनिया
इन सफेदपोश हैवानो से।।